बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

फूलन देवी

मोरी हसिया में दे दे धार 
ओ लोहार 
जड़ काटूँगी मैं इस बार 
ओ लोहार 

नार जनम मोरी जात न कोउ 
जात न कोउ पात न कोउ
मैं बाग की बिछुड़ी डार 
ओ लोहार 

पिय बाबुल ने जान रेहन दी 
जान रेहन दी आन रेहन दी 
मोरे दो-दो साहूकार 
ओ लोहार 

मुझसे जनम कर मोरे आका 
आका मोरे मो पे ही डाका 
मोरी नाव मोरी मझधार 
ओ लोहार 

मोरी हसिया में दे दे धार 
जड़ काटूँगी मैं इस बार

- दीपक तिरुवा।
-----------------

विजया सती की पसंद 

1 टिप्पणी: