शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

कवि

क़लमअपनीसाध,

औरमनकीबातबिलकुलठीककहएकाध।

यहकितेरी-भरहोतोकह,

औरबहतेबनेसादेढंगसेतोबह।

जिसतरहहमबोलतेहैं,उसतरहतूलिख,

औरइसकेबादभीहमसेबड़ातूदिख।

चीज़ऐसीदेकिजिसकास्वादसिरचढ़जाए

बीजऐसाबोकिजिसकीबेलबनबढ़जाए।

फललगेंऐसेकिसुख-रस,सारऔरसमर्थ

प्राण-संचारीकिशोभा-भरजिनकाअर्थ।

टेढ़मतपैदाकरेगतितीरकीअपना,

पापकोकरलक्ष्यकरदेझूठकोसपना।
विंध्य,रेवा,फूल,फल,बरसातयागर्मी,

प्यारप्रियका,कष्ट-कारा,क्रोधयानरमी,

देशयाकिविदेश,मेराहोकितेराहो

होविशदविस्तार,चाहेएकघेराहो,
तूजिसेछूदेदिशाकल्याणहोउसकी,

तूजिसेगादेसदावरदानहोउसकी।


- भवानी प्रसाद मिश्र।

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