क़लमअपनीसाध,
औरमनकीबातबिलकुलठीककहएकाध।
यहकितेरी-भरनहोतोकह,
औरबहतेबनेसादेढंगसेतोबह।
जिसतरहहमबोलतेहैं,उसतरहतूलिख,
औरइसकेबादभीहमसेबड़ातूदिख।
चीज़ऐसीदेकिजिसकास्वादसिरचढ़जाए
बीजऐसाबोकिजिसकीबेलबनबढ़जाए।
फललगेंऐसेकिसुख-रस,सारऔरसमर्थ
प्राण-संचारीकिशोभा-भरनजिनकाअर्थ।
टेढ़मतपैदाकरेगतितीरकीअपना,
पापकोकरलक्ष्यकरदेझूठकोसपना।
विंध्य,रेवा,फूल,फल,बरसातयागर्मी,
प्यारप्रियका,कष्ट-कारा,क्रोधयानरमी,
देशयाकिविदेश,मेराहोकितेराहो
होविशदविस्तार,चाहेएकघेराहो,
तूजिसेछूदेदिशाकल्याणहोउसकी,
तूजिसेगादेसदावरदानहोउसकी।
- भवानी प्रसाद मिश्र।
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संपादकीय पसंद
सरल, सहज अभिव्यक्ति। बस, ऐसे ही लिखते जाने का आग्रह भी। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसराहनीय
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👏👏
जवाब देंहटाएंसीधी सादी सहज भाव अभिव्यक्ति!
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