बुधवार, 12 मार्च 2025

गिलहरी की उड़ान

 मैं लेना चाहता हूँ

सूरज से कुछ रोशनी

और बन जाना चाहता हूँ एक सुबह

जो किसी चिड़िया के चहचहाने की वज़ह बन जाए,


चाँद से कुछ चमक ले लूँ,

और बन जाऊँ चमकती लहरें

जो किनारे पर जाकर

कछुओं के बच्चों को

अपनी गोद में बिठाकर

समंदर तक छोड़ आयें


मैं रात से कुछ

अँधेरा भी लेना चाहूँगा

और बन जाना चाहूँगा एक नींद

जो बच्चों को सपनों की दुनिया में ले जा सके


मैं पेड़ों से उनकी शाखाएँ चाहता हूँ,

कुछ समय के लिए

और बन जाना चाहता हूँ एक झूला

जिस पर एक बाप

अपने बच्चे को एक ऊंचा-सा झोटा दे पाए


मैं परिंदों से

उनके पंख लेना चाहता हूँ

ताकि मैं एक लंबी उड़ान भर सकूँ

वही उड़ान

जो किसी गिलहरी ने अपने सपने में

देखी होगी!

- मुदित श्रीवास्तव

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 हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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