आज तुम
इस शाम
मुझे
इस अंधियारे
में उसी नाम
से पुकारो
जिस नाम से
पहली बार
तुम ने
बुलाया था
ताकि मैं
वही पुरानी
हूक में
डूब कर
सारा मालिन्य
धो कर
तुम्हारी आवाज पर
फिर से
लौट पाऊँ ।
- सुदर्शन प्रियदर्शिनी
-----------------------
हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें