गुरुवार, 13 मार्च 2025

उन से नैन मिलाकर देखो

उन से नैन मिलाकर देखो

ये धोखा भी खा कर देखो


दूरी में क्या भेद छिपा है

इसकी खोज लगाकर देखो


किसी अकेली शाम की चुप में

गीत पुराने गाकर देखो


आज की रात बहुत काली है

सोच के दीप जला कर देखो


जाग-जाग कर उम्र कटी है

नींद के द्वार हिलाकर देखो


- मुनीर नियाज़ी

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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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