सोमवार, 24 मार्च 2025

पाँच खिड़कियों वाले घर

 दर्पण में 

जन्मी छाया से

मैंने अपनी कथा कही ।


बहुत बढ़ाकर 

कहने पर भी

कथा रही 

ढाई आखर की

गूँज उठी 

सारी दीवारें

पाँच खिड़कियों 

वाले घर की


एक प्रहर 

युग-युग जीने की

सच पूछो तो प्रथा यही

- शतदल

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-हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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