रविवार, 9 मार्च 2025

कुछ लड़कियाँ

कुछ लड़कियाँ खूब पढ़ रही हैं
कुछ लड़कियाँ अच्छे ओहदों पर पहुँच रही हैं
कुछ लड़कियाँ अपने हकों के लिए लड़ रही हैं
कुछ लड़कियाँ कविताएँ लिख रही हैं
कुछ लड़कियाँ डरती नहीं किसी से
कुछ लड़कियाँ पार्टी कर रही हैं
कुछ लड़कियाँ खुलकर हँस रही हैं
कुछ लड़कियाँ प्यार में हैं

कुछ लड़कियों को देख लगता है
अब लड़कियों की दुनिया बदल चुकी है
उनकी दुनिया का अँधेरा मिट चुका है

लेकिन अभी भी बहुत सारी लड़कियाँ
पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहीं
जूझ रही हैं अपनी पसंद के विषय की पढ़ाई के लिए,
आगे की पढ़ाई के लिए
बहुत सारी लड़कियाँ
अपनी पसंद के रिश्तों के सपने से भी बाहर हैं
बहुत सारी लड़कियाँ पूरी पढ़ाई करके भी
जी रही हैं अधूरी ज़िंदगी ही
बहुत सारी लड़कियाँ पैसे कमा रही हैं
लेकिन नहीं कमा पा रही हैं अपने हिस्से के सुख
बहुत सारी लड़कियाँ उलझी हुई हैं
साज-शृंगार में, तीज त्योहार में
बहुत सारी लड़कियाँ
एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ी की जा रही हैं
बहुत सारी लड़कियाँ अन्याय को सह जाने को अभिशप्त हैं
कुछ लड़कियों और बहुत-सी लड़कियों के बीच एक लंबी दूरी है
कुछ लड़कियों के बारे में सोचना सुख से भरता है
लेकिन हक़ीक़त की धूप 
हथेली पर रखे इस ज़रा से सुख को पिघला देती है

कुछ लड़कियों के चेहरे बहुत सारी लड़कियों जैसे लगने लगते हैं
‘अब सब ठीक होने लगा है’ का भ्रम टूटने लगता है
कि ज्यादा नुकीले हो गए हैं
स्त्रियों की हिम्मत को तोड़ने वाले हथियार
ज्यादा शातिर हो गई हैं
उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की साजिशें
झूठ की पालिश से खूब चमकाए जा रहे हैं मुहावरे
कि अब सब ठीक-ठाक है...

जबकि असुरक्षा के घेरे से बाहर न ये कुछ लड़कियाँ हैं
न बहुत सारी लड़कियाँ।

- प्रतिभा कटियार
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अनूप भार्गव की पसंद 

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