गुरुवार, 20 मार्च 2025

क्षणिकाएँ

 लिफाफा


पैगाम तुम्हारा 

और पता उनका 

दोनों के बीच 

फाड़ा मैं ही जाऊँगा।



झाड़न


पड़ा रहने दो मुझे

झटको मत

धूल बटोर रखी है

वह भी उड़ जाएगी।


- विश्वनाथ प्रताप सिंह

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-हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से 

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