शनिवार, 5 अक्तूबर 2024

समय के उलट

मौन से संकेत  

 संकेत से ध्वनि 

ध्वनि से बोली 

बोली से भाषा 

बनने की प्रक्रिया 

पुरानी पड़ चुकी है 

नवीन प्रक्रिया में 

भाषाओं का घड़ा रीत चुका है 

बोली ‘हल्ला बोलने’ 

ध्वनि धमकाने 

और संकेत साँसों पर साँकल चढ़ाने के 

काम लाए जा रहे हैं 

हम समय में उल्टे बह रहे हैं 

यह चुप्पी से भाषा निर्माण का नहीं 

भाषा से चुप्पी साधने का समय है।


-  अंजुम शर्मा

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- संपादकीय चयन 

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