सवेरा
सूर्य की विजय नहीं होता।
सूर्य की विजय नहीं होता।
अधिकार की लड़ाई में
तारों की पराजय या
चँद्रमा का दमन भी नहीं।
तारों की पराजय या
चँद्रमा का दमन भी नहीं।
सवेरा
एक यात्रा है
अँधेरे में नहाकर
लौट जाना
रोज़ की तरह
निर्धारित सफ़र के लिए।
सवेरा
किसी मानी का मद नहीं होता
अहम के रंग में रंगी
सोने की
सुर्ख़ तलवार भी नहीं।
सवेरा
कलाकार का चित्र है
नीले आधार पे उभरता
लाल रंग
और सोने की
छोटी-छोटी पंक्तियाँ।
सवेरा
काजल की कोठरी में
सयाने का जाना है
और बिना कालिख़ लगे
सुरक्षित साफ़-साफ़
वापिस लौट आना।
सवेरा
अंतहीन उजाला नहीं होता।
निराशा की गर्त में
किसी अँधेरे की
गंभीर प्रतीक्षा भी नहीं।
सवेरा
एक सच है
रात के सपनों को
साकार करने का
सुनहरा मौक़ा, और
नए सपने की
ज़मीनी हक़ीक़त देखने का भी।
- उमेश पंत
------------
हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें