बुधवार, 30 अक्तूबर 2024

कविता लिखने से पहले ही

कविता लिखने से पहले ही,
कवि का दर्जा पाने वाला, शायद पहला हूँ मैं।

मैंने जब प्रेम किया, तो लोगों ने कहा
इतनी शिद्दत से प्यार सिर्फ़, एक कवि ही कर सकता है

सीटियाँ बजाते हुए जब मैं बारिश में उड़ेल देता अपनी देह को,
कोने में खड़े जेंटलमैन फुसफुसाते कि
इसकी आवारा सीटी में है कविता का संगीत।

हर वक़्त स्वप्न देखना मेरी कला बन गई
उनको क़रीने से सजाता तो लोग कहते कि
अपनी कविताओं की प्रूफ़रीडिंग कर रहा है।

जब मैं बोलता तो लगता कि श्रवण कुमार भर रहा है घड़े में पानी,
कई दशरथों के निशाने होते मुझ पर,
छाती पर बाणों को मुस्कुराकर सहता
तो लोग कहते ऐसा साहस एक कवि में ही हो सकता है।

असल में मैं कवि नहीं हूँ,
मैं तो बस लोगों को सच करने में लगा हूँ।

- कपिल भारद्वाज
--------------------

हरप्रीत सिंह पुरी की पसंद 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें