बहते जल के साथ न बह
- जगदीश व्योम
हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
कोशिश करके मन की कह।
मौसम ने तेवर बदले
कुछ तो होगी ख़ास वजह।
कुछ तो ख़तरे होंगे ही
चाहे जहाँ कहीं भी रह।
लोग तूझे कायर समझें
इतने अत्याचार न सह।
झूठ कपट मक्कारी का
चारण बनकर ग़ज़ल न कह।
कुछ तो होगी ख़ास वजह।
चाहे जहाँ कहीं भी रह।
इतने अत्याचार न सह।
चारण बनकर ग़ज़ल न कह।
- जगदीश व्योम
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
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