तुम्हें पेड़ से हवा नहीं
लकड़ी चाहिए
नदी से पानी नहीं
रेत चाहिए
धरती से अन्न नहीं
महँगा पत्थर चाहिए
पक्षी, मछली और साँप को भूनकर
घोंसले, सीपी और बांबी पर
तुम अत्याधुनिक घर बना रहे हो
पेड़, नदी और पत्थर से
तुमने युद्ध छेड़ दिया है
पाताल, धरती और अंबर से
तुम्हारा यह अश्वमेधी घोड़ा पानी कहाँ पिएगा?
लकड़ी चाहिए
नदी से पानी नहीं
रेत चाहिए
धरती से अन्न नहीं
महँगा पत्थर चाहिए
पक्षी, मछली और साँप को भूनकर
घोंसले, सीपी और बांबी पर
तुम अत्याधुनिक घर बना रहे हो
पेड़, नदी और पत्थर से
तुमने युद्ध छेड़ दिया है
पाताल, धरती और अंबर से
तुम्हारा यह अश्वमेधी घोड़ा पानी कहाँ पिएगा?
- कमलजीत चौधरी
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