पेड़
बूढ़ा हो चुका था
पहले फलों
फिर पशु-पक्षियों
और आख़िर में कुछ बचे
सूखे पत्तों ने भी छुड़ा लिया था
उसके हाथों से
अपनी उँगलियों को
उस
बूढ़े पेड़ से तोड़कर
अक्सर लाया करती थी माँ
उसकी बची-खुची सूखी लकड़ियाँ
जिससे पकाया जाता था
हम भाई-बहनों के लिए भोजन
माँ
उस बूढ़े पेड़ की लकड़ियों
को तोड़ने से पूर्व
उसे सहलाना और गले लगाना नहीं भूलती
और
अक्सर हमसे कहा करती
तुम्हें
याद रखना है, मेरे बच्चो
कि कैसे एक बूढ़े पेड़ ने
अपने बुढ़ापे से
तुम्हें जवान किया है!
पहले फलों
फिर पशु-पक्षियों
और आख़िर में कुछ बचे
सूखे पत्तों ने भी छुड़ा लिया था
उसके हाथों से
अपनी उँगलियों को
अक्सर लाया करती थी माँ
उसकी बची-खुची सूखी लकड़ियाँ
जिससे पकाया जाता था
हम भाई-बहनों के लिए भोजन
को तोड़ने से पूर्व
उसे सहलाना और गले लगाना नहीं भूलती
कि कैसे एक बूढ़े पेड़ ने
अपने बुढ़ापे से
तुम्हें जवान किया है!
- गुँजन श्रीवास्तव
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हरप्रीत सिंह पुरी के सौजन्य से
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