उसकी चीखें लगातार मेरे कानों में गूँज रही थी
वह चौराहे पर छाती पीटती हुई
गोल-गोल घूम रही थी
उसके कपड़े का एक छोर पकड़
एक थकी बच्ची रोती-बिलखती
उसके आगे-पीछे
‘बस माँ, रुक जाओ..’
‘मेरे बच्चे मेरी गोदी में थे
जब मारे गए
सुन रहे हो
वो भूखे मर गए
सुन रहे हो
उन्होंने खाना नहीं खाया था…’
इतनी मोहलत होती
कि मरने के पहले
पेट भर खा लेते बच्चे
वह चौराहे पर छाती पीटती हुई
गोल-गोल घूम रही थी
उसके कपड़े का एक छोर पकड़
एक थकी बच्ची रोती-बिलखती
उसके आगे-पीछे
‘बस माँ, रुक जाओ..’
‘मेरे बच्चे मेरी गोदी में थे
जब मारे गए
सुन रहे हो
वो भूखे मर गए
सुन रहे हो
उन्होंने खाना नहीं खाया था…’
इतनी मोहलत होती
कि मरने के पहले
पेट भर खा लेते बच्चे
- बेजी जैसन
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